दांत के डॉक्टर्स हमे सच बताए...शाकाहारी इस आलेख को अवश्य पढ़े..

🔸 *टूथपेस्ट या Toxic Paste👇*
* आंखें फ़ाड़ देने वाला सच :-(साभार:सोशल मीडिया)
नोट #डेंटिस्ट(दांतो के डॉक्टर)कृपया इसे ध्यान से पढ़े और हमे वो सच बताए कि क्या यह तथ्य सही है...

अब यह भी सही है कि इस जिम्मेदारी का निर्वाह नैतिक डॉक्टर ही कर सकते है... मैं जिन डॉक्टर्स को यह आलेख भेज रहा हूं उनको नैतिक और अपने प्रोफेशन के प्रति ईमानदार डॉक्टर मान कर भेज रहा हूं।

मैं यह आशा करता हूं कि वो हमे यह बताएंगे कि क्या हमे इन टूथ पेस्ट का उपयोग करना चाहिए....?

जो लोग शाकाहारी है कहीं उनकी मान्यता, परंपरा उनका धर्म अनजाने में भ्रष्ट तो नही हो रहा।

डॉक्टर्स यह कड़वा सच बताने की जिम्मेदारी आप पर है...आशा है आप निर्वाह करेंगे।
संजय सनम

आप पाठकों से भी मेरा अनुरोध है कि आप भी अपने डॉक्टर्स से यह जाने....क्योंकि डॉक्टर हमारे स्वास्थ्य के सच्चे मित्र है अगर वे अपने प्रोफेशन और अपनी जिम्मेदारी के प्रति ईमानदार है।

अब पढ़िए इसे....सोशल मीडिया की खबर क्या कहती है!
क्या शाकाहारी लोगों का धर्म भ्रष्ट कर रहे ये टूथ पेस्ट...या फिर यह खबर फेक है....?
सोशल मीडिया की ये खबर जस की तस आप तक पहुंचाई जा रही है!

* दुनिया भर के टूथपेस्ट बड़े-बड़े दावे करते हैं कि उनका टूथपेस्ट दांतों के कोने-कोने में घुस कर सफाई करता है, साँसों की बदबू दूर करता है और दाँतों की सड़न को दूर करता है ! तो मेरे मन में विचार आया कि जरा गूगल मैया से पूछें तो सही कि क्या यह टूथपेस्ट हमारे दांतो के लिए इतना सचमुच इतना लाभदायक और  सुरक्षित है ! लेकिन मैया ने तो सारे राज ही खोल कर रख डाले ! कहने लगी ये तो आपके लिए मल्टीनेशनल कम्पनियों द्वारा फैंकी गई मांस की बोटी है, सिगरेट का दमदार कश है और छोटा सा एटम बम है ! तो आइये आपको भी टूथपेस्ट की यह कहानी सुना ही देता हूँ :-

* *इतिहास :- दन्त-मंजन से टूथपेस्ट तक का सफर :-*

* टूथपेस्ट की शुरूआत सबसे पहले भारत और चीन में अठारहवीं शताब्दी से पहले ही हो गई थी ! तब यह दन्त-मंजन या पॉवडर के रूप में विकसित हुआ ! भारत में नीम, बबूल, नमक, पुदीने की पत्तियों, सूखे फूलों आदि का प्रयोग बहुत पहले से होता था ! लेकिन सन् 1824 में पीबॉडी नाम के एक अंग्रेज दन्त विशेषज्ञ ने साबुन मिला कर आधुनिक टूथपेस्ट बनाई ! सन् 1850 में जॉन हेरिस ने पहली बार उसमें चॉक मिलाई ! अंततः सन् 1873 में कॉलगेट कम्पनी ने पहली बार व्यावसायिक स्तर पर टूथपेस्ट बनाई और जार में भर कर बेचना शुरू किया था ! इसके बाद सन् 1892 में डॉ. व्हाशिंगटन शेफील्ड ने टूथ-पेस्ट की दबाने वाली ट्यूब बनाने की तकनीक विकसित की !

* *हड्डियों का घोल, बिके चांदी के मोल :-*
* भारत के एक बहुत बड़े वैज्ञानिक और विशेषज्ञ के अनुसार हर ब्राण्डेड टूथपेस्ट में मरे हुए जानवरों की हडियां महीन पाउडर के रूप में मिलाई जाती है ! उन्होंने तो लेबोरेट्री में परीक्षण करके पुख्ता रिपोर्ट तैयार की है कि कौन से टूथपेस्ट में किस जानवर की हड्डियां मिलाई जाती हैं ! इशारों में समझ जायें ये जानवर कोई भी हो सकता है ! जो लोग टूथपेस्ट करते हैं वे भूल कर भी अपने को शाकाहारी न समझें ! 
* *जर्दे का बघार, करेगा बीमार :-*
* दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च {डिपसार} ने बड़ी कंपनियों के 34 टूथपेस्ट पेस्ट की जांच करने के बाद निष्कर्ष निकाला है कि लगभग सभी टूथपेस्ट कंपनियां लोगों के दांतों को बर्बाद करने में जुटी हुई है ! डिपसार के पूर्व निदेशक प्रोफेसर डॉ. एस.एस. अग्रवाल के अनुसार बाजार की सभी प्रचलित कंपनियों के टूथपेस्ट में निकोटिन की मात्रा बहुत अधिक पाई गई ! निकोटीन जर्दे में पाये जाने वाला नशीला पदार्थ है, जिससे सिगरेट बनाई जाती है। निकोटिन के अलावा टूथपेस्ट में फ़्लोराइड, यूजीनॉल और टार भी बड़ी मात्रा में पाये गये !
* किसी-किसी पेस्ट में तो 18 मिलीग्राम तक निकोटिन पाया गया है ! एक सिगरेट में दो से तीन मिलीग्राम तक निकोटिन होता है ! इस हिसाब से देखें तो एक पेस्ट की ट्यूब में आठ से नौ सिगरेट के बराबर निकोटिन पाया गया है !
निकोटिन दिमाग को ताजगी देता है इसीलिए टूथपेस्ट में मिलाया जाता है, ताकि पेस्ट करने के बाद आपको ताजगी महसूस हो, आप इस नशे के आदी हो जायें और कभी वह पेस्ट करना नहीं छोड़ें ! अधिक निकोटिन आगे चलकर कैंसर के दावत दे सकता है ! टूथपेस्ट में मिला यूजीनॉल दर्द-नाशक है, लेकिन यह दिल की धड़कन बढ़ाता है और दिल की धमनियों पर इसका बुरा असर पड़ता है ! टूथपेस्ट में मिला टार कैंसर का बड़ा कारक है ! इससे भूख कम लगती है !
* प्रोफेसर एस. एस. अग्रवाल के अनुसार सरकार सिगरेट व तंबाकू पर तो प्रतिबंध लगाना चाहती है ! लेकिन इन टूथपेस्ट कंपनियों पर कोई रोक ही नहीं है ! इन्हें तो तंबाकू उत्पाद तक भी घोषित नहीं किया गया है ! जबकि यह तंबाकू से अधिक खतरनाक हैं !
* *सोडियम लॉरिल सल्फेट, हैल्थ को करे मटियामेट :-*
* कॉलगेट समेत सभी अन्तरराष्ट्रीय ब्रांड अपने टूथपेस्ट में एक और खतरनाक पदार्थ सोडियम लॉरिल सल्फेट मिलाते हैं ! इससे झाग बहुत बनते हैं ! जिससे आपको लगता है कि टूथपेस्ट बहुत उम्दा किस्म का है और आपके दांतों की गंदगी साफ होकर झाग के रूप में निकल रही है ! जबकि सच तो यह है कि दातों की सफाई का 80 % काम तो आपका ब्रश ही करता है ! सोडियम लॉरिल सल्फेट तो बस मसूड़ों को नुकसान पहुँचाता है !  सोडियम लॉरिल सल्फेट एक जहर है और इसकी 0.05 मि.ग्राम की मात्रा भी शरीर में चली जाये तो आपको कैंसर हो जाता है ! इस रसायन को तकनीकी भाषा में सिंथेटिक डिटरजेन कहते हैं।

🔸 इसलिए आप सबसे प्रार्थना है कि अपने स्वस्थय का ध्यान रखें मंजन या दातुन इस्तेमाल करे
* *Back to Ayurveda if you want a healthier. life.*

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