आज रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश जी का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है....सजे धजे पूजा पंडाल और भक्तों की भक्ति के उत्सव का महोत्सव...
इसके साथ आज जैन धर्म की परंपरा का सबसे बड़ा आत्मशुद्धि का पर्व संवत्सरी भी भगवान महावीर के उपदेशों का संगान करते हुए जैन धर्म की परंपरा के पथिक तप जप साधना आराधना तपस्या के साथ मना रहे है।
एक तरफ भगवान गणेश जी की भक्ति का महोत्सव तो दूसरी तरफ भगवान महावीर की वाणी और साधना का चरमोत्कर्ष...
रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश की उपासना और तप त्याग और तीर्थंकर भगवान की आराधना और इसके साथ क्षमा प्रार्थना....वर्ष भर में मन वचन कर्म से हुए अपनी हर भूल के लिए क्षमा याचना अर्थात अपने मन को राग द्वेष मुक्त बनाने की परंपरा....
भगवान गणेश बुद्धि और ज्ञान के दाता है और जब बुद्धि विवेक आपके पास आता है तभी आप क्षमा मांग सकते है और दे सकते है...
श्री गणेश रिद्धि सिद्धि के दाता है और यहां से आपका तप जप साधना आराधना तपस्या जुड़ जाती है जो भव सागर से पार करने वाली सिद्धि आपको दे देती है...
आइए दोनों परंपराओं के दर्शन की गंगा में उतरते हुए आंतरिक शीतलता को अनुभूत करें...
क्षमा पर्व की महान परंपरा को अंगीकार करते हुए मन को राग द्वेष मुक्त करने की परंपरा में झुकना सीखे और जो हमारे सामने झुक रहे है उनको गले लगा ले .
कुछ इस तरह हम श्री गणेश उत्सव और संवत्सरी मना ले....
क्षमा पर्व पर जुड़े हाथों के साथ सबसे क्षमा याचना...
संजय सनम
(सपरिवार)
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