गुरु पूर्णिमा में गुरु के अभिनंदन का दृश्य....गुरु शिष्य परंपरा...
(फर्स्ट न्यूज:संजय सनम)
गुरु अर्थात ज्ञान....सिर्फ आध्यातिंक गुरु ही गुरु नहीं होते...बल्कि हर क्षेत्र में ज्ञान की उच्चता रखने वाले...मार्गदर्शन देने वाले गुरु ही तो होते है।
ज्योतिष का ज्ञान वैज्ञानिक भी है और आध्यात्मिक भी है इस क्षेत्र में विशेष पारंगत होने वाले व्यक्तित्व का अभिनंदन आध्यात्मिक गुरु से कही कम नहीं होता..
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प्रस्तुत दृश्य में ज्योतिष के क्षेत्र में विशेष उच्चता प्राप्त कर अपने शिष्यों को ज्योतिष में दक्ष बनाने वाले गुरु का अभिनंदन शिष्य कर रहा है ....
भारतीय संस्कृति की गुरु शिष्य परंपरा का गर्वित करने वाले दृश्य
ज्योतिष की कृष्णमूर्ति पद्धति पर विलक्षण पांडित्य रखने वाले और आज के दौर में kp कहे जाने वाले आदरणीय शांति कुमार वाजपेयी गुरु जी का गुरु पूर्णिमा पर अभिनंदन करते हुए उनके शिष्य एडवोकेट सुरेंद्र शर्मा जी
ज्योतिष की कृष्णमूर्ति पद्धति पर विलक्षण पांडित्य रखने वाले और आज के दौर में kp कहे जाने वाले आदरणीय शांति कुमार वाजपेयी गुरु जी का गुरु पूर्णिमा पर अभिनंदन करते हुए उनके शिष्य एडवोकेट सुरेंद्र शर्मा जी
गुरु को वंदन,अभिनंदन,चरण स्पर्श के साथ आशीर्वाद की यह प्रक्रिया...गुरु के प्रति श्रद्धा,और कृतज्ञता का भाव होती है।
भीलवाड़ा के एडवोकेट सुरेंद्र शर्मा जी ने ज्योतिष को बहुत गहराई के साथ अपने गुरु के दिए एक एक सूत्र को आत्मसात किया है और अभी भी जिज्ञासु के रूप में कर रहे है।प्रस्तुत दृश्य भीलवाड़ा के है और गुरु की महानता और शिष्य की विनम्रता का संदेश दे रहे है।
आदरणीय शांति कुमार गुरुजी के श्री चरणों में श्रद्धा के साथ प्रणाम हम निवेदित करते है क्योंकि उनका आत्मीय आशीर्वाद का प्रसाद हमे भी मिला है।
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