क्या पिता के लिए सिर्फ एक दिन काफी है!
जिसने हमे जन्म दिया,
विष्णु बन कर
जिसने पालन पोषण किया,
हमारी मुश्किलों में
जो बरगद की छांव
बन कर खड़ा रहा
संघर्ष के तूफानों में
जो पतवार बन
कर तना रहा
जो खुद तपती में चला
भूखे पेट रहा
हमारी खुशी के लिए
जो ग्रीष्म,शीत बरसात को
जिसने हंसते हंसते सहा
Vector stock
उसके लिए
सिर्फ एक दिन
औपचारिकता सा लगता है
पिता का दिन
सिर्फ एक नही
समूचा
जीवन दिया
होता है
उसकी
सघन
छाया में
यह
जीवन
बना होता है
Vector stockमेरे लिए तो पिता
जीवन की हर सांस में
रचा- बसा लगता है
पर हमने उसे
एक दिन में
अर्थात
जीवन की पोथी का
एक पन्ना बना दिया है
जो जीवन का ग्रन्थ है
उसे एक लम्हा बना दिया है
पिता
जीवन का आधार
जीवन का विश्वास
उसके होने से
पालक सा अहसास होता है
उस साक्षात विष्णु को
एक दिन याद कर
क्या 364 दिन भुला दिया है!

टिप्पणियाँ